Friday, August 23, 2013

TGT-PGT Vacancy Cancel, TGT-PGT Vacancy Cancelation

TGT-PGT Vacancy Cancel, TGT-PGT Vacancy Cancelation: टीजीटी-पीजीटी प्रवक्ताओं की नियुक्ति पर रोक:

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी) तथा परास्नातक प्रवक्ताओं (पीजीटी) की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद टीजीटी व पीजीटी के चयन पर रोक लगा दी है। पीठ ने माध्यमिक सेवा चयन बोर्ड के सदस्यों को भी पूरा किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। पीठ ने बिना रिक्तियों की तस्दीक कराए तथा बोर्ड के सदस्यों के अभाव में की जारी नियुक्तियों पर रोक लगा दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति अशोक पाल सिंह की पीठ ने याची दीप्ति मिश्रा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं। याचिका में टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों के चयन के लिए वर्ष 2011 में जारी दो विज्ञापनों की वैधता को चुनौती दी गई है। कहा गया कि प्रदेश में 1514 पदों पर भर्ती के लिए जो विज्ञापन जारी किए गए हैं उसमें राज्य सरकार ने तस्दीक नहीं कराई कि कितनी जगह रिक्त है तथा वर्ष 2013 में कितने पदों पर भर्तियों के लिए परीक्षा की जानी है। याची का तर्क था कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग में वर्तमान में सदस्यों की संख्या आधे से कम है ऐसे में रिक्तियों के भरने का निर्णय लिया जाना विधि विरुद्ध है। विदित हो कि टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों की भर्ती माध्यमिक सेवा चयन आयोग द्वारा की जाती है। आयोग में एक चेयरमैन व दस सदस्य होते हैं कहा गया कि वर्तमान में आयोग में केवल चार सदस्य हैं ऐसे में चयन किस आधार पर किया जा रहा है, जब तक बोर्ड के सदस्यों का कोरम पूरा नहीं है चयन नहीं किया जा सकता।

याचिका में आरोप लगाया गया कि लिखित परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच प्राइवेट एजेंसी से कराई जाती है तथा उत्तर पुस्तिका के साथ दो अन्य ओएमआर शीट नहीं दी गई जो कि नियमों के विपरीत है। वर्ष 2011 में जारी विज्ञापन रिक्तियों की जांच कराए बिना जारी किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि वर्ष 2011 में जारी विज्ञापन जिसके आधार पर चयन प्रक्रिया की गई, इसकी जांच कराई जाए तथा आयोग द्वारा 25 अगस्त से नियुक्तियों के लिए होने जा रही परीक्षा पर रोक लगाई जाए। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार व अन्य विपक्षियों से चार सप्ताह में जवाब भी मांगा है। अदालत ने याची से भी कहा है कि दो सप्ताह में प्रति उत्तर शपथ पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।

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